प्रेत शिला पिंडदान के अनुष्ठान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। इसका उद्देश्य दिवंगत आत्माओं, विशेषकर अशांत आत्माओं, को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। गया जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धालु चावल के गोले अर्पित करते हैं। प्रेत शिला को दिव्य शक्तियों से युक्त माना जाता है, जो आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति प्रदान करती है। यह परंपरा पूर्वजों के प्रति कर्तव्यों और पारिवारिक बंधनों की महत्ता को दर्शाती है। प्रेत शिला का उपयोग पिंडदान की पवित्रता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिससे आत्माओं को सांत्वना और मोक्ष मिलता है और पारिवारिक शांति बनी रहती है।
प्रेत शिला का महत्व अत्यंत अधिक है। इसका उद्देश्य दिवंगत आत्माओं, विशेषकर अशांत आत्माओं, को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। गया जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धालु चावल के गोले अर्पित करते हैं। प्रेत शिला को दिव्य शक्तियों से युक्त माना जाता है, जो आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति प्रदान करती है। यह परंपरा पूर्वजों के प्रति कर्तव्यों और पारिवारिक बंधनों की महत्ता को दर्शाती है। प्रेत शिला का उपयोग पिंडदान की पवित्रता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिससे आत्माओं को सांत्वना और मोक्ष मिलता है और पारिवारिक शांति
प्रेत शिला के लाभ अत्यंत अधिक हैं। इसका उद्देश्य दिवंगत आत्माओं, विशेषकर अशांत आत्माओं, को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। गया जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धालु चावल के गोले अर्पित करते हैं। प्रेत शिला को दिव्य शक्तियों से युक्त माना जाता है, जो आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति प्रदान करती है। यह परंपरा पूर्वजों के प्रति कर्तव्यों और पारिवारिक बंधनों की महत्ता को दर्शाती है। प्रेत शिला का उपयोग पिंडदान की पवित्रता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिससे आत्माओं को सांत्वना और मोक्ष मिलता है और पारिवारिक शांति
प्रेत शिला की विधि अत्यंत सरल है। इसका उद्देश्य दिवंगत आत्माओं, विशेषकर अशांत आत्माओं, को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। गया जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धालु चावल के गोले अर्पित करते हैं। प्रेत शिला को दिव्य शक्तियों से युक्त माना जाता है, जो आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति प्रदान करती है। यह परंपरा पूर्वजों के प्रति कर्तव्यों और पारिवारिक बंधनों की महत्ता को दर्शाती है। प्रेत शिला का उपयोग पिंडदान की पवित्रता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिससे आत्माओं को सांत्वना और मोक्ष मिलता है और पारिवारिक शांति