अक्षयवट, जिसे सीता साक्षी के नाम से भी जाना जाता है, पिंडदान के पवित्र अनुष्ठान में एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह बिहार के गया में स्थित है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। पिंडदान का उद्देश्य दिवंगत आत्माओं को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति मिलती है। यह वृक्ष सीता माता की साक्षी के रूप में प्रसिद्ध है, जिससे इसकी धार्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। श्रद्धालु अक्षयवट के नीचे चावल के गोले अर्पित करते हैं, जो पूर्वजों की आत्माओं के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य का प्रतीक है। यह परंपरा आत्माओं को सांत्वना और मोक्ष प्रदान करने की प्राचीन धार्मिक आस्था को दर्शाती है और परिवार के बंधनों को मजबूत करती है।
अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है। इस अनुष्ठान में श्रद्धालु अक्षयवट के नीचे जाकर चावल के गोले अर्पित करते हैं। इसके बाद वे अपने पूर्वजों की आत्माओं के लिए प्रार्थना करते हैं और उन्हें शांति और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते ह। इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य दिवंगत आत्माओं को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति मिलती है।
अक्षयवट का वृक्ष सीता माता की साक्षी के रूप में प्रसिद्ध है। इसकी धार्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। श्रद्धालु अक्षयवट के नीचे चावल के गोले अर्पित करते हैं, जो पूर्वजों की आत्माओं के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य का प्रतीक है। यह परंपरा आत्माओं को सांत्वना और मोक्ष प्रदान करने की प्राचीन धार्मिक आस्था को दर्शाती है और परिवार के बंधनों को मजबूत करती है।
अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति मिलती है। यह वृक्ष सीता माता की साक्षी के रूप में प्रसिद्ध है, जिससे इसकी धार्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। श्रद्धालु अक्षयवट के नीचे चावल के गोले अर्पित करते हैं, जो पूर्वजों की आत्माओं के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य का प्रतीक है। यह परंपरा आत्माओं को सांत्वना और मोक्ष प्रदान करने की प्राचीन धार्मिक आस्था को दर्शाती है और परिवार के बंधनों को मजबूत करती है।
अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है। इस अनुष्ठान में श्रद्धालु अक्षयवट के नीचे जाकर चावल के गोले अर्पित करते हैं। इसके बाद वे अपने पूर्वजों की आत्माओं के लिए प्रार्थना करते हैं और उन्हें शांति और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते ह। इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य दिवंगत आत्माओं को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति मिलती है।
अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है। इस अनुष्ठान में श्रद्धालु अक्षयवट के नीचे जाकर चावल के गोले अर्पित करते हैं। इसके बाद वे अपने पूर्वजों की आत्माओं के लिए प्रार्थना करते हैं और उन्हें शांति और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते ह। इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य दिवंगत आत्माओं को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। अक्षयवट के नीचे पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति और मुक्ति मिलती है।